कैलासयंत्र को हृदय के ऊपर ही क्यों धारण करना चाहिए?

कैलासयंत्र को हृदय के ऊपर ही क्यों धारण करना चाहिए?

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यंत्र मुख्य दो प्रकार के होते हैं स्थापन यंत्र ओर धारण यंत्र जिसमे अनेक प्रकार होते है। स्थापन यंत्र जो देवमंदिरों में, गृह, कारखाना, दुकान में स्थापित किए जाते हैं जिसमें कुछ यंत्र विधान करके भूमि के अंदर ही स्थापन कर दिए जाते हैं। ओर उस जगह पर निवास करने वाला तथा वहां काम करने वाले सभी व्यक्ति को असर करता है।

परंतु व्याधि और उपाधियां व्यक्तिगत भी होती हैं। वह स्थिति में यंत्र शरीर पर धारण करने का विधान है उसको धारण यंत्र कहते है। जिसमें कुछ यंत्र बाहू पर बांधने का विधान है तो कुछ यंत्र कमर, ताबीज में डालकर गले में धारण करना और कुछ हाथ के कड़ों तथा उंगली में अंगूठी स्वरूप में पहनने का विधान है। जिसमें खास करके कैलासयंत्र गले में ऐसे धारण किया जाता है कि वह ह्रितचक्र पर रहे कैलासयंत्र को गले में ऊंचा तथा एकदम नीचे तक नही पहनना चाहिए यंत्र की विशेष क्षमता बढ़ाने हेतु ह्रितचक्र पर ही धारण करना श्रेष्ठतम है।

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